माणा के प्रधान पीतांबर मोल्फा का कहना है कि भारत और चीन के बीच युद्ध होने पर स्थानीय ग्रामीण हर कदम पर सेना औऱ देश का साथ देंगे। माणा गांव की महिलाओं ने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा उन्हें ट्रेनिंग दी गई है। ऐसे में अगर जरूरत पड़ती है, तो वे सेना के साथ चीन से जंग को भी तैयार हैं।
उत्तराखंड की सीमा में अंतिम गांव है माणा
उत्तराखंड की सीमा में स्थित माणा गांव इस दिशा में भारत का आखिरी गांव है, इसके बाद चीन की सीमा शुरू हो जाती है। माणा गांव को माना गांव भी कहा जाता है। इस गांव का जिक्र त्रेतायुग से जुड़े संदर्भों में मिलता है। इसका पौराणिक नाम मणिभद्र बताया जाता है। प्रकृति के बसरते प्यार के कारण इस गांव की लोकेशंस बहुत सुंदर हैं। नेचर लवर्स के साथ ही इतिहास प्रेमियों को यह गांव बहुत भाता है। इस गांव का संबंध महाभारत काल से है।
यहां स्थित है माणा गांव
उत्तराखंड में स्थित बदरीनाथ धाम से करीब 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यह माणा गांव। इस गांव में मात्र कुछ महीने ही चहल-पहल रहती है। क्योंकि जब बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तो लोग यहां आना छोड़ देते हैं।
देखने के लिए है काफी कुछ
माणा गांव में प्राकृतिक नजारे इंजॉय करने के बाद आप बहुत सारी पौराणिक जगहों के दर्शन कर सकते हैं। इनमें श्री गणपति को समर्पित गणेश गुफा, श्री वेद व्यास जी की गुफा, भीम पुल, भारत चीन सीमा, हिमालय, प्राकृतिक कुंड शामिल है।
जाने का बेस्ट समय
माणा गांव घूमने जाने के लिए बेस्ट समय मई से अक्टूबर के बीच है। इस दौरान यहां हर साल बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। आमतौर पर इन्हीं दिनों बदरीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं। भारत और चीन की सीमा पर स्थित इस गांव में प्रकृति के अनोखे नजारे देखने को मिलते हैं।